हमने तो बस कलिया मांगी काटोका हार मिला...
बिछड गया हर नेता देकर पल दो पल का साथ...
किसमे हिम्मत है जो थामे अण्णाजी का हाथ...
हमको अपना सपनाभी अख्सर बेजार लगा...
इसकोही निती कहते है तो ये भी सह लेंगे...
उफ ना करेंगे, लब खोलेंगे, आंसू पोछेंगे...
धमकीसे घबराना कैसा दुश्मन सौ बार मिला...