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तू...

कुछ टूटे हुए झरोंके कुछ रुके हुए मंज़र उल्फत में तेरी दिलसे कभी निकली हुई सिसकिया सब बहते हें मेरी आँखोमे - कभी झील कभी रात की तरहां एक खामोश सा पल सहम सा जाता हें फिर तू उसमे घुल-मिल सा जाता हें...