भीगी पल्कोपे संभलता पानी
तेरे रुख्सार से फिसलता पानी
हथेलियोकी हीना का बदलके रंग
तेरे दामन में काटे उगाता पानी
तेरी महफ़िल से उठते तो
हासिल ही क्या था हमें
काफ़िर न बना ए बूंद-ए-शराब
तेरी तबियत ना बिगाडदे पानी
तेरे रुख्सार से फिसलता पानी
हथेलियोकी हीना का बदलके रंग
तेरे दामन में काटे उगाता पानी
तेरी महफ़िल से उठते तो
हासिल ही क्या था हमें
काफ़िर न बना ए बूंद-ए-शराब
तेरी तबियत ना बिगाडदे पानी
No comments:
Post a Comment